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सीए को ऑडिट करते वक्त रहना चाहिए सतर्क

वर्चुअल सीपीई मीटिंग में दी कानूनों की जानकारी
इंदौर ब्रांच ऑफ़ द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के द्वारा सीए द्वारा प्रैक्टिस में विभिन्न कानून जैसे पीएमएलए, बेनामी प्रॉपर्टी, आइपीसी और बैनिंग आफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम और इनका सीए पर प्रभाव आदि विषय पर वर्चुअल सीपीई मीटिंग का आयोजन किया गया. इसके प्रमुख वक्त मुंबई के राजेश संघवी थे.
सीए. संघवी ने बताया कि आजकल किसी भी प्रकार के वित्तीय धोखाधड़ी आदि के केस में सीधे सबसे पहले सीए से ही पूछताछ की जाती है. हम सबसे आसानी से अप्रोच किए जा सकते है और क्लाइंट के रिकॉर्ड हमारे पास पाए जाने पर या उनमें किसी प्रकार की गलती पाए जाने पर हमे भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने भूतकाल में हुए विभिन्न प्रकार के धोखाधड़ी जिनमें सी ए लोगों से पूछताछ और उनके खिलाफ सजा के उदहारण दे कर चर्चा की. उन्होंने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट, सर्टिफिकेट, क्लाइंट के रिटर्न आदि में गलती होने पर भी सी ए से पूछताछ हो सकती है, गलती जानबूझ कर की है या गलती से ही हुआ है. इसके बारे में बाद में देखा जाता है, पहले यह देखा जाता है कि गलती है या नहीं.
उन्होंने कई प्रकार के उदाहरण जैसे किसी क्लाइंट के डीड पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर करना, जीएसटी क्रेडिट के किसी मामले में जिस सीए ने पंजीयन किया उनसे पूछताछ, वॉट्सएप पर कोई भ्रामक जानकारी देना आदि पर उदाहरण देकर समझाया की सीए को बहुत ही सतर्कता के साथ अपने कार्य का निर्वाह करना चाहिए.
बेनामी प्रॉपर्टी के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यदि किसी ट्रस्ट, सोसायटी, कंपनी आदि के द्वारा किसी और व्यक्ति के नाम पर कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और उसके सही डिस्क्लोजर और रिजॉल्यूशन पास नहीं हुए है तो ऐसे में भी बेनामी लॉ लागू हो सकता है. ऑडिट करते वक़्त हमें सतर्क रहना चाहिए.
क्लाइंट से लेना चाहिए सभी दस्तावेज
ब्रांच चेयरमैन सीए. हर्ष फिऱोदा ने बताया कि हम सीए जनता के रुपयों के सही रखवाले होते हैं. कई सरकारी योजनाओ और विभिन्न लोन इत्यादि का भुगतान सीए के सर्टिफिकेट आदि के आधार पर होता है और भविष्य में किसी प्रकार का कोई मामला आता है तो हम सीए से भी पूछताछ हो सकती है. ऐसे में हमें विभिन्न प्रकार के दस्तावेज क्लाइंट से लेना चाहिए और जो भी सलाह हम अपने क्लाइंट को दे रहे है.
उनसे संबंधित विभिन्न अपवादों और अस्वीकरण के बारे में लिख देना चाहिए जिससे आगे किसी प्रकार की कोई कार्यवाही से बचा जा सके. साथ ही किसी भी क्लाइंट का काम करने से पहले हमें उसके केवाईसी अपने रिकॉर्ड में रखना चाहिए. इस वर्चुअल वेबीनार का संचालन सीए. आनंद जैन के द्वारा किया गया.